लोक अदालत को सफल बनाने में सरपंच करेंगे सहयोग
शैलेन्द्र जायसवाल मनिकवार – सरपंच महा परिषद एवं अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस संघर्ष परिषद के अध्यक्ष राजकुमार सिंह तिवारी ने विधिक सेवा प्राधिकरण रीवा के सभागार में 14 दिसंबर को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में आयोजित सरपंचों के बैठक को संबोधित करते हुए सरपंचों से लोक अदालत में राजीनामा योग प्रकरणों हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर सहयोग करने का अनुरोध करते हुए कहा कि सरपंच प्रजातंत्र के आधार स्तंभ हैं।
शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर करवाने की जिम्मेदारी सरपंचों की है। अतः सस्ता सरल सुलभ एवं शीघ्र न्याय हेतु प्रयास करें क्योंकि इनकी पहुंच जन-जन तक है ।यह जनता के काफी भरोसेमंद है। पंचायत स्तर पर इनकी एक अलग पहचान एवं सम्मान है। पीड़ित मानवता की अंतिम आशा न्यायपालिका का सहयोग करें।
लोक अदालत के बारे में बताते हुए कहा कि लोक अदालत का दूसरा नाम जन या लोगों की अदालत,एवं विधिक सेवा प्राधिकरण है।इसके जनक पूर्व राज्यसभा सांसद बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया थे ।लोक अदालत शीघ्र एवं सस्ते न्याय के लिए वैकल्पिक समाधान या युक्त प्रदान करता है। इसमें सख्त अनुप्रयोग ना होने से लचीलेपन के कारण तीव्रता है ।यह आपसी सुलह एवं बातचीत की एक प्रणाली है ।
अदालतों में लंबित पहले चरण के मुकदमों में समझौता सौहार्दपूर्ण तरीके से करा निपटाया जाता है। इसका गठन भारतीय संविधान के प्रस्तावना में दिए गए वादों को पूरा करने हेतु किया गया था। 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित हुआ जो 9 नवंबर 1995 को लागू हुआ। पहला लोक अदालत 1982 में गुजरात में आयोजित किया गया था ।इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय न्याय प्रणाली की पुरानी व्यवस्था को लागू करना था। जो आधुनिक दिनों में भी प्रासंगिक है ।
भारतीय अदालतें लंबी महंगी और थकाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं से जुड़े मामलों के बोझ से लदी हुई है ।छोटे-छोटे मामलों को निपटने में भी कई साल लग जाते हैं। इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं ।जो निशुल्क हैं ।यह गांधीवाद के सिद्धांत पर आधारित है ।इसका निपटारा तुरंत हो जाता है। यह जनता को प्रोत्साहन करने हेतु है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक तथा अन्य अक्षमता के कारण न्याय से वंचित न होने पाए। यह मित्रता सलाह एवं बातचीत की एक प्रणाली है। यह न्यायालय के बाहर विवादों का सुलह समझौते से निपटारा करता है ।यह सरल न्यायिक प्रक्रिया है।
अतः सरपंच गांव गांव में जागरूकता अभियान चलाएं ,और लोगों को जागरुक कर विवादों का निपटारा कर गांव एवं राष्ट्र में विवाद मुक्त वातावरण निर्मित करें ,ताकि भारत प्रगति एवं खुशहाली के रास्ते पर अग्रसर रहे। बैठक में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी आशीष द्विवेदी द्वारा बाल विवाह जैसे कुरीतियों को रोकने हेतु सरपंचों से जनता को जागरूक करने हेतु अनुरोध किया गया एवं उसके बारे में कानूनी जानकारियां बताए गए।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला विधिक अधिकारी अभय मिश्रा ने सभी सरपंचों को धन्यवाद देते हुए उनसे लोक अदालत में सहयोग करने का अनुरोध किया। एवं कहा कि भारत वर्ष गांवों का देश है यह तभी खुशहाल होगा जब गांव खुशहाल होंगे विवाद मुक्त होंगे।