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Mauganj हिंसा मामले में बसपा और आदिवासी संगठन का रीवा में विरोध प्रदर्शन

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Rewa/ Mauganj – मऊगंज जिले के गडरा गांव में हुई हिंसा की घटना को लेकर रीवा में आक्रोश जारी है। शनिवार को बसपा के बैनर तले आदिवासी संगठनों ने मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन कर आईजी को ज्ञापन सौंपा है।

बसपा के बैनर तले आदिवासी संगठन ने किया विरोध प्रदर्शन

Mauganj में हुई घटना को लेकर बसपा के कार्यकर्ता और आदिवासी संगठन के लोग नारेबाजी करते हुए ज्ञापन देने पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपियों के इतर आदिवासियों को भी हिरासत में ले रखा है।

आदिवासी समाज को दबाया जा रहा

अभिषेक सिंह ने कहा कि मऊगंज में हुई घटना की हम सब निंदा करते हैं। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करे। चाहे वो आरोपी किसी भी वर्ग का हो। लेकिन हमारे आदिवासी समाज को दबाया जा रहा है। उनके साथ ज्यादती की जा रही है। हम चाहते हैं कि मामले में आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। लेकिन बेगुनाहों को परेशान ना किए जाए।

आईजी ने दिया आश्वासन

पूरे मामले में आईजी साकेत पांडेय और कमिश्नर बीएस जामोद ने आदिवासी संगठन के लोगों को आश्वासन दिया है कि आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

क्या हुई थी घटना

Mauganj जिले के गडरा गांव में बीते दिनों हिंसा हुई थी जिसमें ASI की मौत हो गईं थी जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिया था।

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दरअसल पूरी घटना को समझने आपको 2 महीने पहले जाना होगा जब मऊगंज में हुए एक एक्सीडेंट में एक आदिवासी की मौत हो गई थी, उस घटना को आदिवासियों ने हत्या कहा था और आरोप सनी द्विवेदी पर लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी लेकिन जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर क्लीन चिट दे दी गई थी जिससे आदिवासियों ने नाराजगी जाहिर की थी।

घटना को निष्पक्ष जांच से इतर जातीय रंग दिया जा रहा

मऊगंज गडरा गांव में हुई हिंसा मामले को लेकर राजनीतिक लोग अपनी अपनी रोटियां सेंकने में लग गए लोगों ने घटना को निष्पक्ष जांच से इतर जातीय रंग देने लगे । जातीय आधार पर विरोध प्रदर्शन करने लगे , जातीय आधार पर जांच की मांग करने लगे लेकिन क्या इस तरह की निंदनीय घटना को जातीय बनाकर समुदाय को आपस में लडाने का काम उचित है? क्या समाज व समुदाय में नफरत फैलाने से सही है? ऐसी घटना को जातीय रूप देना कई सवाल खड़े करती है।

अभिषेक सिंह ने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच होना चाहिए और दोषी पर कार्यवाही हो लेकिन बेवजह सभी आदिवासियों को परेशान किया जा रहा है।

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